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जिनका मन आज हमारे परमेश्‍वर यहोवा से फिर जाए

परमेश्‍वर हमारे यहोवा के बहुत समय से आज्ञाकारिता में नहीं है

ऐसी कोई जड़ हो, जिससे विष या कड़वा

जो कोई व्यक्ति देवताओं की उपासना करता है और बाकीयों को यहोवा के आनाज्ञाकरी बनने का कारन है

ऐसा मनुष्य

वचन 18 में ऐसे व्यक्ति इसका वर्णन है।

आशीर्वाद के योग्य माने

सवंय को उत्साहित करे

यह सोचे कि चाहे मैं अपने मन के हठ पर चलूँ

हालांकि आभी भी अनाज्ञाकारी ही है

तृप्त होकर प्यास को मिटा डालूँ

यही कारण है कि पृथ्वि पर यहोवा धर्मीयों को और अधर्मीयों को दोंनो कमो नाश करता है

तृप्त … मिटा

अच्छे लोग … बुरे लोग।