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लहू जो है वह प्राण है

ऐस कहा जाता है कि लहू में जीवन रहता है मानो लहू जीवन है। अत: “लहू में जीवन रहता है“ यां “मवेशी लहू में जीवन रहता और मनुष्य दोनो के जीवन का कारण लहु है”

तू माँस के साथ प्राण कभी भी न खाना

शब्द “जीवन” लहू में जीवन रहता है को दर्शाता है। अत: “माँस के साथ जीवन न खाना” यां “तुम माँस के साथ लहु नही खाना उसमें जीवन रहता है“

जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है

यहां “आँखें” विचार यां अनुमान को दर्शाती है। अत: “परमेश्‍वर यहोवा के मुताबिक क्या ठीक है” यां ”जो परमेश्‍वर यहोवा को ठीक लगे”