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सामान्य जानकारी

यहाँ मुसा सारे खुलासे को दो विकल्पों मे प्रसतुत करता है ताकि इस्राएल के लोग चुनाव कर सकें। वे चुन सकते थे आज्ञा को मानना और परमेश्‍वर की आशिष प्राप्त करना यां परमेश्‍वर की आज्ञा का इन्कार करना और ताड़ना को प्राप्त करना।

सुनो

“ध्यान दें”

मैं आज के दिन तुम्हारे आगे आशीष और श्राप दोनों रख देता हूँ

कहा जाता है कि उन्हें चुनाव की अनुमति दे रहा है वे चाहे तो परमेश्‍वर उन्हें आशिष दे यां श्राप दे, मानो एक आशिष और एक श्राप वस्तु थे जिन्हें मुसा उनके सामने रख रहा हो।

आशीष

यह अमूर्त चित्र संज्ञा क्रिया में घोषणा कऱ सकते है। अत: “परमेश्‍वर तुम्हें आशिष दे”

श्राप

यह अमूर्त चित्र संज्ञा क्रिया में घोषणा कऱ सकते है। अत: “परमेश्‍वर तुम्हें श्राप दे”

तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञाओं को नहीं मानोगे, और जिस मार्ग की आज्ञा मैं आज सुनाता हूँ उसे तजकर दूसरे देवताओं के पीछे हो लोगे

लोग कहते है कि परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञाएं मुसा कह रहा है मानो परमेश्‍वर के तरीके यां मार्ग। ऐसे कहा जाता है यदि लोग परमेश्‍वर यहोवा से दूसरी दिशा को मुड़े अन्य देवताओं के पीछे चलें। अत: “आज के दिन जो आज्ञाएं मैं तुम्हें देता हुँ मानना बन्द कर दो, और अन्य देवताओं की उपासना करने लगो”

अन्य देवता जिन्हें तुम नहीं जानते हो

यह देवता दर्शाते है, जिनकी उपासना अन्य लोग करते है। पर इस्राएली लोग परमेश्‍वर यहोवा को जानते है क्योंकि उसने खुद को उन पर प्रकट किया था और उनके पास उसकी सामर्थ का अनूभव था