hi_tn/act/20/33.md

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पौलुस अपनी बात जारी रखता है

मैंने किसी के चाँदी का लालच नहीं किया

“मैंने किसी की चांदी की इच्छा नहीं की” या फिर, “मुझे किसी की चांदी नहीं चाहिए”

किसी की चाँदी, सोने या कपड़े का लालच नहीं किया

कपड़ों को निधि समझा जाता था; जितने अधिक कपड़े आपके पास हैं, आप उतने ही अमीर है।

तुम, आप ही

“आप ही” को बात में प्रभाव उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया गया है।

इन्हीं हाथों ने मेरी......आवश्यकताएं पूरी की हैं

" मैं अपने हाँथों से काम करके पैसा कमाते है और अपना कर्चा उठाते हूँ।"

परिश्रम करते हुए निर्बलों को संभालना

“कड़ा परिश्रम करो ताकि उन लोगों की मदद कर सकों जो लाचार हैं”

लेने से देना धन्य है

देने से व्यक्ति को पमरेश्वर के अनुग्रह एवं आनंद का अधिक अनुभव होता है।