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907 B
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“हे प्रभु, तू कौन है?”
“प्रभु” का आशय यहाँ 1) प्रभु, अथवा 2)स्वामी या कि “महोदय” हो सकता है, क्योंकि इस समय तक शाऊल को यह ज्ञात नहीं था कि उसका सामना यीशु मसीह से हुआ है।
परन्तु अब उठ कर नगर में जा....
“उठ और दमिश्क के नगर में जा....”
वह तुझ से कहा जाएगा
कोई तुझे बता देगा
तू....तू....तुझे
ये सभी एकवचन हैं।
किसी को देखते न थे
ज्योति का अनुभव केवल शाऊल को हुआ था।