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जो कोई भी प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के ज्ञान के द्वारा संसार की नाना प्रकार की अशुद्धता से बच निकलता है।
कोई भी व्यक्ति जिसने प्रभु यीशु मसीह को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर लिया है और अशुद्ध और अपवित्र जीवन शैली से मुड़ गया हैं।
उनकी दशा पहले से भी बुरी हो गई है।
वे और भी बदतर हैं क्योंकि उनको पवित्र जीवन का ज्ञान है और फिर भी उन्होंने पाप के जीवन की ओर मुड़ना चुना है।
धर्मिकता के मार्ग को जाना है
परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला जीवन जीना
उन्हें दी गई पवित्र आज्ञा।
परमेश्वर के नियम और कानून उन्हें दिए गए ताकि वे जान पाएं कि परमेश्वर के लिए किस प्रकार जीना है।
यह कहावत ...कि कुत्ता अपनी छांट की ओर और नहलाई हुई सूअरनी कीचड़ की ओर वापिस लौटती है।
एक सटीक कहावत में उन लोगों की तुलना जो सच्चाई तो जानते हैं पर भक्तिहीन जीवन में वापिस लौट आते हैं कुत्ते से कि गई है कि,”कुत्ता अपनी छांट की ओर वापिस लौट आता है” नीतिवचन 26:11 का सन्दर्भ देता है। दोनों मामलों में इसका अर्थ यही है कि एक पशु अपने आप को अशुद्ध होने से बचना सिखाने में असमर्थ होता है।”