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ये निर्बुद्धि पशु

बिल्कुल वैसे जैसे पशु तर्क नहीं कर सकते, इन मनुष्यों के साथ भी तर्क-विचार नहीं किया जा सकता। पर: “ये झूठे शिक्षक निर्बुद्धि पशुओं के तुल्य हैं”

वे नहीं जानते कि वे किसका अपमान करते हैं।

जिन बातों को वे जानते या समझते ही नहीं उनके विषय में बुरा-भला कहते हैं।

वे नाश किए जाएंगे।

वैकल्पिक अनुवाद: “परमेश्वर इन लोगों का विनाश करेगा”

वे गलत कार्यों के फलस्वरूप सज़ा पाते हैं

“जिन बातों को वे अपने लिए अच्छा समझते हैं वास्तव में उनके लिए बुरी हैं।“

वे दाग और धब्बे हैं।

झूठे शिक्षक कलंक और दोष हैं और उन धब्बों के समान हैं जिनको छुड़ाना आसान नहीं है और वे अवांछित दाग पीछे छोड़ जाते हैं।देखें:

वे तुम्हारे साथ खाते पीते हैं अपनी ओर से प्रेम भोज करके भोग-विलास करते हैं

वे भोग-विलास निरन्तर करते रहते हैं और सीधे लोगों को फुसला कर उनकी आँखों में झांकते हुए भी उन्हें अपराध बोध महसूस नहीं होता।

उनकी आँखों में व्यभिचार बसा हुआ है, वे पाप किए बिना रुक नहीं सकते

“उनकी आँखें प्रत्येक स्त्री को गंदी नज़र से देखती हैं, और उनका मन कभी नहीं भरता।“

उनके हृदय को लोभ करने का अभ्यास हो गया है

“हृदय” जो सम्पूर्ण मनुष्य का प्रतिनिधित्व करता है, उसे सोच-विचार और कार्य से लोभ करने का प्रशिक्षण दिया गया है। वे गलत प्रकार से धन और वस्तुओं की इच्छा करते हैं। (देखें: rc://*/ta/man/translate/figs-synecdoche