hi_tn/2ki/20/10.md

468 B

“छाया का दस अंश आगे बढ़ना तो हलकी बात है,

“यह आसान है कि छाया को दस अंश आगे बड़ाया जाये, क्‍योंकि ऐसा करना आम बात है”

आहाज की धूपघड़ी की छाया,

“पदचिह्न राजा आहाज के लिए बनाऐ गये थे”