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और जिनके हाथ में काम करनेवालों को देने के लिये रुपया दिया जाता था, उनसे कुछ हिसाब न लिया जाता था

"उन्हें उन पुरुषों की आवश्यकता नहीं थी जो पैसे प्राप्त करते थे और मरम्मत के लिए काम करने वालों को पैसे का भुगतान करते थे."

हिसाब लिया जाता था।

कितना पैसा मिला और खर्च किया गया, इसका हिसाब रखना है।

जो रुपया दोषबलियों और पापबलियों के लिये दिया जाता था*, यह तो यहोवा के भवन में न लगाया गया?

"उन्होंने अपराध के चढ़ावे और पाप के चढ़ावे के पैसे का इस्तेमाल यहोवा के मंदिर की मरम्मत के लिए नहीं किया।"