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उसने अहाब के साथ

“उसने खुद को अहाब का दोस्त बना लिया”।

जैसा तू वैसा मैं भी हूँ, और जैसी तेरी प्रजा, वैसी मेरी भी प्रजा है।

यहोशापात आहाब के प्रति अपनी वफादारी बताते है।कि “मैं अपने और मेरे सैनिकों इस्तेमाल करना चाहते है”।