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किस में इतनी शक्ति है, कि उसके लिये भवन बनाए, वह तो स्वर्ग में वरन् सबसे ऊँचे स्वर्ग में भी नहीं समाता? मैं क्या हूँ कि उसके सामने धूप जलाने को छोड़ और किसी विचार से उसका भवन बनाऊँ?

कोई भी परमेश्वर के लिए एक भवन बनाने में सक्षम नहीं है क्योंकि कोई भी इसे शामिल नहीं कर सकता।मैं कोई भी नहीं हूं केवल एक व्यक्ति जो उसे बलिदान दे सकता हूं”।