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जो सचमुच विधवा है, और उसका कोई नहीं
जो सचमुच विधवा है, और उसका कोई नहीं -“परन्तु जिस विधवा का कोई परिजन नहीं वह वास्तविक विधवा है”
वह परमेश्वर पर आशा रखती है और रात-दिन विनती और प्रार्थना में लौलीन रहती है।
“वह धीरज धरकर परमेश्वर से विनती एवं प्रार्थना करती रहती है”।
पर
“परन्तु”
"वह कनानी स्त्री आई"
"वह कनानी स्त्री आई" “जो अपनी सुख भोग के लिए जी रही है”
वह जीते जी मर गई
इस रूपक का अर्थ है वह परमेश्वर का ध्यान नहीं करती हे। “वह एक मृतक के सदृश्य परमेश्वर को प्रतिक्रिया नहीं दिखा सकती है”।
जीते जी
शारीरिक जीवन