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ये बातें तुझे इसलिए लिखता हूँ
ये बातें तुझे इसलिए लिखता हूँ - “मैं तुझे ये निर्देश लिख रहा हूँ कि”
और जल्द आने की आशा रखने पर भी
और जल्द आने की आशा रखने पर भी - “यद्यपि मैं शीघ्र ही तरे पास आने की आशा में हूँ”
यदि मेरे आने में देर हो
यदि मेरे आने में देर हो -“यदि मैं वहाँ शीघ्र न आ पाया तो” या “यदि मेरे शीघ्र आगमन में बाधा उत्पन्न हुई”
इसलिए लिखता हूँ
इसलिए लिखता हूँ - “मेरे लिखने का उद्देश्य है”
“परमेश्वर के घराने में.... कैसा बर्ताव करना है”
“तुझे परमेश्वर के घराने की अगुआई कैसे करनी है”।
सत्य का खंभा और नींव है
इस रूपक में एक बड़ा दृढ़ मंच है जिस पर परमेश्वर सत्य का प्रदर्शन करता है। इस मंच को उसके मांगों द्वारा व्यक्त किया गया है नींव और खंभा।