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फिर
यहाँ से इस वाक्य का उस दिन का सबसे महत्वपुर्ण अंग शुरु होता है।
हे अब्राहम, इसहाक और इस्राएल के परमेश्वर यहोवा!
यहां “इस्राएल” याकूब को कहा गया है। परमेश्वर ने याकूब का नाम इस्राएल रखा। और परमेश्वर ने याकूब के वंश के देश का नाम “इस्राएल” रखा।
आज यह प्रगट कर
“इन लोगों को आज जान लेने दे”
मेरी सुन, मेरी सुन
“यह वाक्य एलिय्याह के बार-बार यहोवा से विनति करने का उल्लेख करता है।
और तू ही उनका मन लौटा लेता है।
“उन्हें फिर से अपने प्रति वफादार बना लेता है”