hi_tn/1ki/14/06.md

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तू अपने को क्यों दूसरी स्त्री बनाती है?

“किसी दुसरे के समान मत बन; “मैं जानता हुं तुम कौन हो”

मुझे तेरे लिये बुरा सन्देशा मिला है

“यहोवा ने मुझे तुझे बुरा सन्‍देश देने को कहा है”

‘मैंने तो तुझको बढ़ाकर

“मैंने तुझे बढ़ाया है”

राज्य छीनकर

“परमेश्‍वर ने राज्‍य को ऐसे छीन लिया जैसे कोई पुरष कपड़े को फाड़ता है”

मेरी आज्ञाओं को मानता,

“मेरी बात को मानना”

जो मेरी दृष्टि में ठीक है।

“जो मुझे सही लगता है”