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“हे मेरे भाई, ये कैसे नगर तूने मुझे दिए हैं?”

हिरान सुलैमान से गुसा होता हे, “यह जो नगर तुने मुझे दिये हे यह किसी काम के नही हैं”।

यही नाम आज के दिन तक पड़ा है।

“आज भी लोग इनको इसी नाम से बुलाते हैं”

एक सौ बीस किक्कार सोना

“4,000 किलोग्राम सोना”