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स्वर्गीय निवास-स्थान

यहा “स्वर्गीय“ शब्‍द को परमेशवर का निवास-स्थान दर्शाया गया है। इसी‍ शब्‍द को “आकाश” के लिये भी इस्‍तेमाल किया गया है। “स्वर्गीय“ का मतलब वो सब कुछ जो हम धरती से ऊपर देखते है, सुरज, चांद या सितारे। बाईबल के कुछ संदर्भ में “स्वर्गीय“ शब्‍द को आकाश या परमेशवर का निवास-स्थान द्रशाया गया है। जब बार बार “स्वर्गीय“ शब्‍द आता है तो प्रभु के लिए होता है। उदहारण के लिए जब मती “स्वर्ग का राज” लिखता है तब वो परमेशवर के राज की बात करता है।

जीवन, जिंदा, रहना, जीवित

यह सब निब़धन यह जीवन को बताते हे जो मरा हुआ नही है। आतमिक तौर पर जीवित। आगे बताता है की आतमिक जीवन क्या है ओर भौतिक जीवन क्या है” “उसके जीवन का अंत” का व्यंजक ऐसे भी हो सकता है “जब उसने जिना छोड दिया हो” “आतमिक जीवन” की धारणा यह है “परमेशवर हमारी आतमा में हमे जीवित रख रहा है” या “परमेशवर की आतमा से नया जीवन”

क्षमा करना, माफी

क्षमा करना, किसी के प्रति कोई शिकायत न रखना। “माफी” किसी को क्षमा करने का आचरण है। जब लोग अपने पापों की क्षमा मांगते है, प्रभु उन्‍हें मसीह की सलिबी मौत के कारण क्षमा करता है। येशु ने अपने चेलों को भी सिखाया की दुसरों को क्षमा करो जैसे उसने क्षमा किया।

फल

“किसी के कुछ कार्य करने पर उसे दिया जाने वाला इनाम” इनाम या फल एक अच्‍छी चीज़ है जो किसी के अच्‍छा काम करने पर उसे दी जा सकती है या क्योंकि उसने प्रभु की बात मानी। कभी कभी इनाम नकारातमक भी हो सकता है, जो बुरे वय्हार का नतीजा हो, जैसे “दुष्ट का प्रतिफल” जो पापों के कारण हुआ”।

मन

बाईबल में “मन” को बहुत बार इस्‍तेमाल किया गया है, जो किसी मनुष्य के विचार, भावनाएँ, अरमान या मर्जी को द्रशाता है। एक “स्खत मन“ का होना आम बात हे, ऐसा हाव-भाव जो परमेशवर का इनकार करता हो। “मेरे पुरे मन से” या “मेरे समस्त मन से” का मतलब किसी कार्य को बिना किसी शिकायत के करना।

भय,तेरा भय मानते रहें, यहोवा का भय।

“भय” ओर “डरा हुआ” ऐसा मेहसुस करना जैसे कोई खतरा हो या किसी को कोई नुकसान होने वाला हो। “भय” एक गेहरे आदर को भी द्रशाता है, जो बडे़ अधिकार पर हो। बाईबल हमे यह सिखाती है की जो मनुष्य यहोवा का भय मानता है वो बुद्धिमान कहलाएगा।