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सामान्य जानकारी:

लेखक उन प्थरों के बारे में लिखता है जिनसे भवन बना

ये सब घर बाहर भीतर नींव से मुंडेर तक ऐसे अनमोल और गढ़े हुए पत्थरों के बने

“कारीगरों ने भवन को अनमोल और गढ़े हुए पत्थरों से सजाया”।

गढ़े हुए पत्थरों के बने जो नापकर, और आरों से चीरकर* तैयार किये गए थे

“गढ़े हुए पत्थरों को कारीगरों ने बड़े घ्यान से आरों से चीरकर तैयार किया था”।

प्थरों का इस्तेमाल

“कारिगरों ने इन प्थरों का इस्तेमाल किया”

और बाहर के आँगन से ले बड़े आँगन तक

लेखक इस बात पर ध्यान दे रहा है कि कारिगरों ने बहुमूल्य पत्थरों को भवन की नीवं ओर बाकी इमारतों के लिये इस्तेमाल किया।

उसकी नींव डाली

“कारिगरों ने नींव बनाई”

आठ और दस हाथ

“लगभग 3.7 मिटर और 4.6 मिटर”