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इसी की रीति उसने मन्दिर के प्रवेश-द्वार के लिये भी जैतून की लकड़ी के चौखट के बाजू बनाए, ये चौकोर थे। दोनों दरवाज़े सनोवर की लकड़ी के थे,
“सुलैमान ने मन्दिर के प्रवेश-द्वार के लिये भी जैतून की लकड़ी के चौखट के बाजू बनाए, ये चौकोर थे ओर उसी प्रकार सनोवर की लकड़ी के दरवाज़े भी”।
चौकोर
दांत जैसा आकार
एक दरवाज़े के दो पल्ले
इसका मतलब हर एक दरवाज़े के दो पल्ले होते जिनको आपस में टिकाया जाता ताकि दोनों एक साथ बन्द हो सके।