hi_tn/1jn/02/27.md

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और तुम्हारा

2:27-29 में शब्द "तुम" बहुवचन है और इसका अभिप्राय उन लोगों से है जिन्हें यूहन्ना यह पत्र लिख रहा है.

अभिषेक

इसका अभिप्राय "परमेश्वर के आत्मा" से है।" में "अभिषेक" के विषय में नोट्स देखें।

जैसे उसका अभिषेक तुमको सिखाता है

"क्योंकि उसका अभिषेक तुमको सिखाता है"

सब बातें

यह वाक्य एक अतिश्योक्ति है. इसका अनुवाद इस प्रकार से किया जा सकता है "सब कुछ जो तुम जानना चाहते हो" (युडीबी)

उसमें बने रहो

देखें इस वाक्य का अनुवाद में किया गया था। एक व्यक्ति किस प्रकार यीशु में बना रहता है इसे स्पष्ट किया जा सकता है : "विश्वास कर के और उसकी आज्ञा का पालन कर के उसमें बने रहो।"

अत:

इस शब्द का प्रयोग पत्र के नए भाग का आरम्भ करने के प्रयोजन से किया गया है।

हे बालको!

देखें आपने इसका में किस प्रकार अनुवाद किया था।

वह प्रगट होता है

"हम उसे देखते हैं"

साहस

"आत्मविश्वास"

उसके आने से पहले

वाक्य "उसके आने" से तात्पर्य यीशु के संसार के राजा और न्यायी के रूप में पुनरागमन से है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है "जब वह संसार का न्याय करने वापिस आएगा।"

उस से जन्मा है

"परमेश्वर से जन्मा है" या "परमेश्वर की सन्तान है"