hi_tn/jud/01/03.md

40 lines
2.5 KiB
Markdown
Raw Permalink Normal View History

2017-08-29 21:40:57 +00:00
# मैं तुम्हें लिखने में अत्यंत परिश्रम कर रहा था
2021-08-16 19:58:42 +00:00
"मैं तुम्हें लिखने के लिए अत्यंत आतुर था"
# हमारा समान उद्धार
"हम उद्धार में समान सहभागी हैं"
# मुझे लिखना ही था
2017-08-29 21:40:57 +00:00
"मुझे लिखने की अत्यन्त आवश्यकता अनुभव हुई" या "मुझे लिखना अति आवश्यक जान पड़ा"
2021-08-16 19:58:42 +00:00
# ताकि मैं तुम्हें समझ सकूँ और तुम विश्वास के लिए पूरा प्रयत्न करो
2017-08-29 21:40:57 +00:00
"ताकि सच्ची शिक्षा के बचाव के लिए तुम्हें प्रोत्साहित कर सकूँ"
2021-08-16 19:58:42 +00:00
# सौंपा गया था
"परमेश्वर ने यह सच्ची शिक्षा दी है"
# क्योंकि कितने ऐसे मनुष्य चुपके से हम में आ मिले हैं
2017-08-29 21:40:57 +00:00
"क्योंकि कुछ लोग विश्वासियों के बीच में बिना अपनी ओर ध्यान आकर्षित किए आ मिले हैं ।"
2021-08-16 19:58:42 +00:00
# जिनके इस दण्ड का वर्णन पुराने समय में पहले से ही लिखा गया था
2017-08-29 21:40:57 +00:00
"बहुत पहले यह लिखा गया था कि इन लोगों को दण्ड मिलेगा"
2021-08-16 19:58:42 +00:00
# जो हमारे परमेश्वर के अनुग्रह को लुचपन में बदल डालते हैं
"जो सिखाते हैं कि परमेश्वर का अनुग्रह व्यक्ति को शारीरिक पाप में बने रहने की अनुमति देता है"
# जो हमारे एकमात्र स्वामी और प्रभु , यीशु मसीह का इन्कार करते हैं
2017-08-29 21:40:57 +00:00
ये मनुष्य सिखाते हैं कि यीशु मसीह परमेश्वर की ओर एकलौता और सच्चा मार्ग नहीं है ।
2021-08-16 19:58:42 +00:00
# इन्कार
कहना कि कुछ सत्य नहीं है