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पौलुस रोम के विश्वासियों में अनेकों के नाम लेकर नमस्कार कह रहा है। (देखें: और )

फीबे के लिए... विनती करता हूँ

“फीबे के सम्मान का निवेदन करता हूँ”

फीबे

एक स्त्री का नाम है

हमारी बहन

“मसीह में हमारी बहन”, यहां “हमारी” अर्थात पौलुस और सब विश्वासियों की

किंख्रिया

यूनान का एक बन्दरगाह

उसे प्रभु में ग्रहण करो

उसे ग्रहण करो क्योंकि हम सब प्रभु के हैं”

जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए

“जैसे विश्वासियों को अन्य विश्वासियों का स्वागत करना चाहिए”

उसकी सहायता करो

इसका अनुवाद एक नये वाक्य में किया जा सकता है, “मैं यह भी चाहता हूँ कि तुम उसकी सहायता करो”।

वह भी बहुतों की वरन् मेरा भी उपकार करने वाली रही है।

“उसने अनेकों की सहायता की है, मेरी भी सहायता की है”।