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परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर हैं

“परमेश्वर की बुद्धि और उसके ज्ञान दोनों ही की गहराई का धन कैसा अद्भुत है”।

और उसका न्याय समझ से परे है उसके विचार कैसे अथाह ...है।

“हम उसके निर्णयों को समझने में पूर्णतः अक्षम हैं और वह हमारे लिए कैसे काम करता है उसके मार्ग जानने में सक्षम नहीं”