hi_tn-temp/rom/04/06.md

1.2 KiB

जिसे परमेश्वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाऊद भी धन्य कहता है।

वैकल्पिक अनुवाद: इसी कारण दाऊद भी उस मनुष्य को आशीषित कहता है जिसे परमेश्वर कर्मों बिना धर्मी कहता है”।

जिनके धर्म क्षमा हुए... जिनके पाप ढांपे गए... जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए।

वैकल्पिक अनुवाद, “जिसके अपराध परमेश्वर ने ढाँप दिए... जिनके पापों का लेखा परमेश्वर ने मिटा दिया”। यहाँ एक ही विचार को तीन विभिन्न अभिव्यक्तियों में प्रकट किया गया है, दो भिन्नार्थक शब्द तीन भिन्नार्थक शब्द होते हैं।