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पौलुस उस काल्पनिक यहूदी के साथ विवाद कर रहा है और ऐसे मनुष्य द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों का उत्तर दे रहा है।
कुछ विश्वासघाती निकले भी तो क्या हुआ?
पौलुस प्रभावोत्पादक प्रश्नों द्वारा मनुष्यों को सोचने पर विवश करता है। कुछ यहूदियों के साथ स्वामिभक्ति नहीं निभाते तो कुछ का कहना था कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञा पूरी नहीं करेगा।
कदापि नहीं
“असंभव है”। या “निश्चय ही नहीं” यह अभिव्यक्ति दृढ़ता से इन्कार करती है कि ऐसा होने की संभावना है। आप अपनी भाषा में ऐसी ही अभिव्यक्ति को काम में लेना चाहेंगे।
वरन्
“इसकी अपेक्षा हमें कहना है”
जैसा लिखा है
“यहूदी धर्मशास्त्र भी मेरी बात से सहमत है”