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पौलुस का विवाद एक काल्पनिक यहूदी से ही चल रहा है।
यदि तू यहूदी कहलाता है
अब इस पत्र का एक नया भाग आरंभ होता है। यहाँ “यदि” का अर्थ यह नहीं है कि पौलुस को सन्देह है या वह अनिश्चित है। वह इस कथन की यर्थाथता पर बल दे रहा है। वैकल्पिक अनुवाद, “तुम स्वयं को यहूदी समुदाय का सदस्य मानते हो”
व्यवस्था पर भरोसा रखता है, और यहोवा के विषय में घमण्ड करता है।
“और तू मूसा प्रदत्त नियमों पर निर्भर करता है तथा परमेश्वर पर घमण्ड करता है।”
उसकी इच्छा जानता है
इसका अनुवाद किया जा सकता है, “पथ-भ्रष्ट किए गए थे”
व्यवस्था की शिक्षा पाकर
इसका अनुवाद कर्तृवाच्य क्रिया द्वारा किया जा सकता है, “क्योंकि तू जानता है कि मूसा ने जो नियम दिए उनकी शिक्षा क्या है”
अगर अपने पर भरोसा रखता है... और सत्य का भी
यदि आपकी भाषा में 2:19-20 को पौलुस का मुख्य विचार दर्शाने की सुविधा है तो इसका यहाँ उपयोग करें। 2:17/17/18 और 02:21 (21) हो सकता है कि आपके अनुवाद में 2:19-20 को 2:17 के पहले रखने की आवश्यकता हो।
अगर भरोसा रखता है
“तू निश्चय है”
कि तू अपने आप अंधों का अगुवा और अंधकार में पड़े हुओं की ज्योति है
इन दोनों उक्तियों का तात्पर्य एक ही है। एक यहूदी किसी को जो देख नहीं सकता, सहायता के लिए उसे यहूदी नियम बताता है। इसका अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तू उस मार्गदर्शक के तुल्य है जो किसी अंधे मनुष्य को मार्ग दिखाता है, और तू अन्धकार में भटके हुए मनुष्य के लिए प्रकाश जैसा है।
बुद्धिहीनों का सिखाने वाला
इसका अनुवाद एक नये वाक्य में किया जा सकता है, “तू अनुचित कार्य करने वालों को सुधारता है”
बालकों का शिक्षक
परमेश्वर प्रदत्त मूसा के नियमों के अज्ञानियों को पौलुस बालक कहता है। वैकल्पिक अनुवाद, “तू उनको शिक्षा देता है जो मूसा द्वारा लाए गए नियमों को नहीं जानते हैं।”
और ज्ञान और सत्य का नमूना जो व्यवस्था में है
“क्योंकि तुझे विश्वास है कि तू मूसा द्वारा लाए गए नियमों में निहित सत्य को समझता है।”