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पौलुस का विवाद एक काल्पनिक यहूदी से ही चल रहा है।

तू अपनी कठोरता और हठीले मन के कारण

पौलुस परमेश्वर की वाणी नहीं सुनने वाले और उसकी आज्ञा नहीं मानने वाले की तुलना एक कठोर पत्थर से करता है। मन संपूर्ण व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। वैकल्पिक अनुवाद, “क्योंकि तू सुनना नहीं चाहता, पापों से विमुख होना नहीं चाहता है”।

अपने लिए क्रोध कमा रहा है

“कमा रहा है” अर्थात धन सम्पदा एकत्र करके सुरक्षित करना। पौलुस के कहने का अर्थ है धन-संग्रह के स्थान पर परमेश्वर के दण्ड का भण्डारण करना। वे मन फिराव में जितना विलम्ब करेंगे उतना ही अधिक उनका दण्ड कठोर होता जाएगा, वैकल्पिक अनुवाद , “तू अपने दण्ड को अधिकाधिक कठोर बनाता जा रहा है”।

क्रोध के दिन के लिए जिसमें परमेश्वर का सच्चा न्याय प्रकट होगा।

ये एक ही दिन होगा विकल्प, “जब परमेश्वर सब पर प्रकट करेगा कि वह क्रोधित है और सबका निष्पक्ष न्याय करेगा” (यू.डी.बी.)

बदला देगा

“निष्पक्षता के साथ प्रतिफल देगा या दण्ड देगा”

हर एक को उसके कामों के अनुसार

“मनुष्यों ने जैसे काम किए हैं उसके अनुसार हर एक को बदला देगा”।

जो सुकामों में स्थिर रहकर महिमा और आदर और अमरता की खोज में हैं

“जिन्होंने सदैव भले कामों के द्वारा दर्शाया है कि वे महिमा, प्रतिष्ठा और शाश्वत जीवन के खोजी है, उन्हें वह सदा का जीवन देगा”।

खोज में हैं

इसका अर्थ है कि उनके काम ऐसे हैं कि न्याय के दिन उनके लिए परमेश्वर का निर्णय सकरात्मक होगा।

महिमा, और आदर और अमरता

वे परमेश्वर से सुनाम और महिमा पाना चाहते हैं, तथा अमर हो जाना चाहते हैं।

अमरता

शारीरिक अनश्वरता, न कि नैतिक, क्षय