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प्रभु में सदा आनन्दित रहो, मैं फिर कहता हूं आनन्दित रहो”

पौलुस सब विश्वासियों से कह रहा है वह आनन्द की आज्ञा को दोहरता है क्योंकि यह एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बात है। “प्रभु के काम के कारण आनन्दित रहो। मैं फिर से कहता हूं, आनन्दित रहो”।

तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो

“सब पर प्रगट होना है कि तुम कैसे दयालु हो”

प्रभु निकट है

इसको संभावित अर्थ हैं, 1) प्रभु यीशु आत्मा में विश्वासियों के निकट है। या 2) प्रभु का आना इस पृथ्वी पर निकट है।

तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना, विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ

“अपनी हर एक आवश्यकता प्रार्थना और धन्यवाद के साथ परमेश्वर के समक्ष रखो”

जो सारी समझ से परे है।

“जो हमारी मानवीय समझ के बाहर है”

तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।

यहाँ परमेश्वर की शान्ति को एक रक्षक सैनिक से तुल्य माना गया है जो हमारी भावना और विचारों को चिन्ता से सुरक्षित रखती है। इसका पूर्ण अर्थ स्पष्ट व्यक्त किया जा सकता है, “वह एक सैनिक के जैसे इस जीवन की चिन्ताओं ओर परेशानियों से तुम्हारे मन मस्तिष्क को सुरक्षित रखेगी”।