hi_tn-temp/php/01/18.md

2.0 KiB

तो क्या हुआ?

पौलुस कहता है कि यीशु के बारे में कोई शिक्षा दे तो कोई विशेष बात नहीं। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “मुझे इसकी चिन्ता नहीं”

चाहे बहाने से चाहे सच्चाई से, मसीह की कथा सुनाई जाती है

प्रचारकों का उद्देश्य भलाई का हो या बुराई का हो, उससे अन्तर नहीं पड़ता, मनुष्य मसीह का प्रचार तो करता है।

मैं इससे आनन्दित हूं

“मुझे तो प्रसन्नता होती है कि वे मसीह का प्रचार तो करते हैं”

और

“निश्चय ही” या “वास्तव में”

आनन्दित रहूंगा

“मैं खुशी मनाऊंगा” या “मैं प्रफुल्लित होऊंगा”

इसका प्रतिफल मेरा उद्धार होगा

“परमेश्वर मुझे कारागार से मुक्ति दिलायेगा”

तुम्हारी विनती के द्वारा और यीशु मसीह के आत्मा के दान के द्वारा

क्योंकि तुम मेरे लिए प्रार्थना कर रहे हो और मसीह यीशु का आत्मा मेरी सहायता कर रहा है”

मसीह का आत्मा

इसका अनुवाद, “पवित्र आत्मा” भी किया जा सकता है