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जब वे बैठे भोजन कर रहे थे।
उनकी प्रथा में भोजन तख्त नीचे होते थे और अतिथियों के लिए भोजन करने हेतु आधा लेटने की स्थिति में गद्दियाँ रखी होती थी।
एक एक करके
अर्थात् प्रत्येक शिष्य ने एक के बाद एक उससे पूछा
क्या वह मैं हूँ?
"निश्चय ही वह मैं तो नहीं जो तुझे पकड़वाने में तेरे बैरियों की सहायता करेगा!" (देखें: और )