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यीशु अपने शिष्यों को उनके आने वाले सताव की चर्चा कर रहा है, इसका आरंभ में हुआ है।

चेला अपने गुरू से बड़ा नहीं होता।

यह एक सामान्य तथ्य है न कि किसी शिष्य विशेष या उसके गुरू के बारे में है। शिष्य अपने गुरू से अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं होता है। इसका कारण है कि वह "गुरू से अधिक ज्ञान नहीं रखता है" या उसका "पद बड़ा नहीं है" या "अधिक उत्तम नहीं है"। वैकल्पिक अनुवाद है, "शिष्य सदैव ही गुरू से कम महत्त्वपूर्ण होता है" या "गुरू सदैव ही शिष्य से अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।"

न दास अपने स्वामी से।

"दास अपने स्वामी पर अधिकारी नहीं होता है"यह भी एक सामान्य तथ्य है, न कि किसी दास विशेष या उसके स्वामी से संबन्धित है। दास अपने स्वामी से न तो "अधिक बड़ा" होता है न ही "अधिक महत्त्वपूर्ण" होता है। वैकल्पिक अनुवाद, "दास सदैव ही अपने स्वामी से कम महत्त्वपूर्ण होता है", या "स्वामी सदैव ही दास से अधिक महत्त्वपूर्ण होता है"।

दास

"दास"

स्वामी

"स्वामी"

चेले का गुरू के बराबर होना ही बहुत है।

"शिष्य" को अपने गुरू के जैसा होने में ही सन्तोष करना है"।

गुरु के समान

"अपने गुरु के तुल्य ज्ञानवान" या "जैसा गुरू वैसा चेला" होना ही पर्याप्त है।

दास का अपने स्वामी के बराबर।

.... और दास को अपने स्वामी के तुल्य महत्त्वपूर्ण होना ही पर्याप्त है“।

उन्होंने घर के स्वामी को शैतान कहा तो उसके घरवालों को क्या कुछ न कहेंगे।

यीशु के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा था अतः यीशु के शिष्यों को भी वैसे ही व्यवहार वरन् उससे भी बुरे की अपेक्षा करना है।(देखें यू.डी.बी)

यदि उन्होंने.... कहा

वैकल्पिक अनुवाद, "क्योंकि उन्होंने... कहा है।"

घर के स्वामी को

यीशु "घर के स्वामी" को अपने लिए उपमा स्वरूप काम में ले रहा है।

शैतान

मूल भाषा में इसका अर्थ हो सकता है, (1) बालज़बूल (2) या इसका अभिप्रेत अर्थ शैतान होता है।

उसके घरवालों को

यीशु "घरवालों को" रूपक स्वरूप शिष्यों के लिए काम में ले रहा है।