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यीशु अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहा है, यह घटना में आरंभ हुई थी।

तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की झूठी बातें कहें।

"जो तुम्हारे बारे में सच नहीं परन्तु मेरे अनुसरण के कारण" या मुझमें विश्वास करने की अपेक्षा तुम्हारा कोई दोष नहीं है।

आनन्दित और मगन होना।

"आनन्दित और मगन" का अर्थ लगभग एक ही है। यीशु चाहता था कि उसके अनुयायी आनन्दित ही नहीं कही अधिक आनन्दित हों।