hi_tn-temp/luk/22/59.md

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दृढ़ता से कहने लगा

“बलपूर्वक कहा” या “ऊंचे शब्द में कहा” (यू.डी.बी.)

निश्चय यह भी

यह अर्थात पतरस। वह संभवतः पतरस का नाम नहीं जानता था।

यह गलीली है

मत्ती लिखता है कि पतरस की भाषा-शैली से लोग समझ जाते थे कि वह गलीली है।

मैं नहीं जानता कि तू क्या कहता है

इस उक्ति का अभिप्राय है, घोर विरोध के साथ कहना, “तू जो कहता है वह कदापि सच नहीं है”। या “तू जो कह रहा है वह झूठ है”।

वह कह ही रहा था कि

“अभी पतरस की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि”