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(यीशु जनसमूह को ही शिक्षा दे रहा है)

यीशु को जनसमूह में सबसे आशा नहीं थी कि वे यीशु की शिक्षा को समझें। अतः यही उचित है कि रूपकों की व्याख्या करने की अपेक्षा उनका ज्यों का त्यों अनुवाद किया जाए।

दीया

एक कटोरे में जैतून का तेल डालकर उसमें बत्ती लगाकर जलाया जाता था परन्तु यहाँ मुख्य बात यह है कि उससे प्रकाश फैलता था।

तल घर में या पैमाने के नीचे नहीं रखता

“छिपा कर नहीं रखता है”

दीवट पर

“दीपदान पर” या “मेज पर” या “उपले में”

दीया तेरी आँख है

इसके अनेक अलंकार हैं। आँख का लाक्षणिक उपयोग देखने के लिए भी किया जाता है जो समझ का रूपक है। देह मनुष्य के जीवन का भी द्योतक है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तेरी आँख का दीपक है”। (देखें और और ) क्योंकि यीशु सबके लिए एक सत्य की चर्चा कर रहा था इसलिए इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “आँख मानवीय देह का दीपक है।

तेरी आँख निर्मल है

“जब तेरी दृष्टि उत्तम है” या “जब तू स्पष्ट देख सकता है”,

तेरा सारा शरीर भी उजियाला है।

उजियाला सत्य का रूपक है जिसका अर्थ है, “तेरा संपूर्ण जीवन सत्य ज्योति से पूर्ण है” या “उसका संपूर्ण जीवन सत्य से पूर्ण है”

वह बुरी है तो तेरा शरीर भी अन्धेरा है

अन्धेरा झूठ का रूपक है। इसका अर्थ है, “यदि तेरी दृष्टि अच्छी नहीं तो तेरा संपूर्ण जीवन झूठ से भरा है”।