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(यीशु जनसमूह को दुष्टात्माओं के बारे में भी शिक्षा दे रहा है)

सूखी जगहों में

अर्थात् निर्जन स्थानों में, जहाँ दुष्टात्मा भटकती है।

जब नहीं पाती

“जब वह दुष्टात्मा कहीं विश्राम नहीं पाती है”

मैं अपने उसी घर में जहाँ से मैं निकली थी

यह एक रूपक है जो उस मनुष्य का संदर्भ देता है जिसमें से वह दुष्टात्मा निकली थी। इसका अनुवाद होगा, “वह मनुष्य जिसमें मैं अन्तर्वास करती थी”। (यू.डी.बी. पद 26 को यू.डी.बी. में उपमा देकर अनुवाद किया गया है।

आकर उसे झाड़ा-बुहारा और सजा-सजाया पाती है।

इसका अनुवाद कर्तृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “आकर देखते है कि किसी ने उस घर को झाड़कर साफ कर दिया है और सब कुछ यथास्थान में रखा हुआ है”

झाड़ा-बुहारा

“खा लो” यह रूपक उस मनुष्य को दर्शाता है जिसमें से दुष्टात्मा निकल गई थी परन्तु उसने उसमें पवित्र-आत्मा का अन्तर्वास नहीं होने दिया।