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3.2 KiB

(यीशु अपने शिष्यों को प्रार्थना के बारे में ही शिक्षा दे रहा है)

यीशु एक अर्थ के तीन आलंकारिक प्रश्न पूछ रहा है। जिस प्रकार कि एक पिता अपनी सन्तान को मांगने पर भली वस्तु देता है, उसी प्रकार हम मांगते हैं तो परमेश्वर हमें भली वस्तु ही देगा। .

तुममें ऐसा कौन पिता है कि जब उसका पुत्र रोटी मांगे तो उसे पत्थर दे।

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि तुम्हारा पुत्र रोटी मांगे तो क्या तुम उसे पत्थर दोगे”? या “यदि तुम्हारी सन्तान खाने को रोटी मांगे तो निश्चय ही तुम उसे पत्थर नहीं दोगे”!

रोटी

यदि आपके पाठक रोटी नहीं खाते हैं तो आप इसका अनुवाद इस प्रकार कर सकते हैं, “पका हुआ भोजन” या “सब्जी” यीशु एक परिस्थिति सुझा रहा है, वह रोटी की विशेष चर्चा नहीं कर रहा है।

मछली के बदले उसे सांप दे?

“या वह मछली मांगे तो क्या तुम उसे सांप दोगे”?

बिच्छू

बिच्छू मकड़ी से मिलता जुलता कीट है परन्तु उसकी पूंछ लम्बी होती है और उसकी पूंछ पर विषैला डंक होता है। यदि उनके स्थान में बिच्छू नहीं होते तो आप कह सकते हैं, “विषैली मकड़ी” या “काटनेवाली मकड़ी”

तुम बुरे होकर

“तुम बुरे होकर भी” या “तुम पापी होकर भी”

तो स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को पवित्र-आत्मा क्यों न देगा?

“तो यह कितना और अधिक निश्चित है कि तुम्हारा स्वर्गीय पिता तुम्हें पवित्र-आत्मा देगा”। इस आलंकारिक प्रश्न का अनुवाद इस प्रकार भी किया जा सकता है, “तुम निश्चित जान लो कि तुम्हारा पिता जो स्वर्ग में है, पवित्र-आत्मा देगा”।