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(यीशु अपने शिष्यों को समझा रहा है)

दीया

यह एक छोटी कटोरी होती थी जिसमें वे जैतून का तेल डाल कर उनमें बत्ती लगाकर जलाते थे।

दीवट

“मेज” या “ताक”

कुछ छिपा नहीं जो प्रकट न हो

इसका अनुवाद सकारात्मक वाक्य में भी किया जा सकता है, “छिपी हुई हर एक बात प्रकट की जाएगी”

न कुछ गुप्त है जो जाना न जाए और प्रकट न हो

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “हर एक गुप्त बात जान ली जाएगी वरन प्रकाश में आएगी”।

किस रीति से सुनते हो

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “तुम मेरी बातों को किस प्रकार सुनते हो” या “तुम परमेश्वर के वचन को कैसे सुनते हो”।

जिसके पास है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जिसमें समझ है” या “जो मेरी शिक्षाओं को ग्रहण करता है”।

उसे दिया जाएगा

“उसे और अधिक दिया जाएगा”,इसका अनुवाद कतृवाच्य क्रिया में भी किया जा सकता है, “परमेश्वर उसे और अधिक देगा”।

जिसके पास नहीं है

इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “जिसमें समझ नहीं है” या “जो मेरी शिक्षा को ग्रहण नहीं करता है”।