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मेरा प्राण.... मेरी आत्मा

इसका अनुवाद हो सकता है, “ओह, मैं कैसे” या “मैं कैसे यहाँ गहरी भावनाएं व्यक्त की गई हैं। मरियम काव्य रूप में एक ही बात को दो भिन्न रूपों में व्यक्त कर रही है। “प्राण” और “आत्मा” दोनों मनुष्य के आत्मिक परिप्रेक्ष्य का संदर्भ देते हैं। उसके कहने का अर्थ है कि उसकी भक्ति उसके अन्तरतम भाग से उभर रही है। यदि संभव हो तो इनके अनुवाद में दो परस्पर भिन्न वस्तु संबन्धित शब्दों का उपयोग करे जिनका अर्थ एक ही हो।

बड़ाई करता है

“सर्वोच्च सम्मान देता है” या “अत्यधिक स्तुति करता है”।

आनन्दित हुई

“बहुत हर्षित हूँ” या “अत्याधिक प्रसन्न है”

मेरा उद्धार करने वाला परमेश्वर

“परमेश्वर जो मेरा मोक्षदाता है” या “मेरा मुक्तिदाता परमेश्वर”