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जो इस जगत में अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है,वह अनन्त जीवन के लिए उसकी रक्षा करेगा।

जो इस जगत में अपने प्राण को प्रिय जानता है, वह उसे खो देता है और जो इस जगत में अपने प्राण को अप्रिय जानता है,वह अनन्त जीवन के लिए उसकी रक्षा करेगा। - वैकल्पिक अनुवाद, "इसी प्रकार जो अपनी इच्छा को प्रिय जानता है वह उसे नष्ट करता है और जो अपनी इच्छा को अनदेखा करता है, क्योंकि वह मेरे अधीन होता है, वह सदा परमेश्वर के साथ रहेगा"।