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मेरा भोजन यह है कि अपने भेजने वाले वाले की इच्छा के अनुसार चलूं।

"जिस प्रकार भोजन भूखे मनुष्य को सन्तुष्ट करता है उसी प्रकार परमेश्वर की इच्छा का पालन करना मुझे सन्तुष्ट करता है"

क्या तुम नहीं कहते

"क्या यह तुम में प्रचलित कहावत नहीं"?

वे कटनी के लिए पक चुके हैं।

जिस प्रकार खेत में पकी हुई फसल कटनी के लिए तैयार होती है वैसे ही मनुष्य मेरा सन्देश स्वीकार करने के लिए तैयार हैं“