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वह नहीं,
वह नहीं, - अर्थात निर्बुद्धि डाह तथा स्वार्थी लालसायें जिनकी चर्चा पिछले पदों में की गई हैं।
ऊपर से उतरता है।
“परमेश्वर से प्राप्त होता है” या “स्वर्ग से आता है”
सांसारिक...है
“सांसारिक” अर्थात जो परमेश्वर को नहीं मानते उनकी आचार संबंधित मान्यतायें एवं आचरण। “परमेश्वर का सम्मान नहीं करने वाला।” )
शारीरिक
शारीरिक “पवित्र आत्मा का नहीं है” या “आत्मिक नहीं है।”
शैतानी
“शैतान से प्राप्त है।”
जहाँ डाह और विरोध होता है।
क्योंकि जहाँ ऐसे मनुष्य हैं जो केवल अपने बारे में ही सोचते हैं, किसी और के बारे में नहीं।
वहाँ बखेड़ा
“वहाँ अव्यवस्था” या “दुर्व्यवस्था”
दुष्कर्म
“हर प्रकार का पापी व्यवहार” या “दुष्टता के सब काम”
पहले तो पवित्र होता है
“सदाचार में शुद्ध”
मिलनसार
“शान्ति पूर्ण”
कोमल
“दयालु” या “निस्वार्थ”
और अच्छे फलों से लदा हुआ
अच्छे फलों की तुलना अच्छे कामों से की गई है वैकल्पिक अनुवाद:“सद्कर्म”
कपटरहित
“सत्यनिष्ठ” या “सच्चा”
धार्मिकता का फल मेल-मिलाप के साथ बोते हैं।
इस रूपक के द्वारा हमारे जीवन के सदाचार की तुलना फसल उगाने और लवनी करने से की गई है। वैकल्पिक अनुवाद: “जो शान्ति में जीवन निर्वाह करते हैं वे परमेश्वर निर्देशित उचित जीवन जी रहे हैं।”