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तुममें ज्ञानवान और समझदार कौन है? जो ऐसा हो वह अपने.....

याकूब इस प्रभावोत्पादक प्रश्न द्वारा अपने पाठकों को उचित व्यवहार की शिक्षा देता है। “ज्ञानवान और समझदार” एक ही अर्थ व्यक्त करते हैं। “जो मनुष्य स्वयं को समझदार मानता है वह....”

अच्छे चाल-चलन को नम्रता सहित प्रकट करें।

“अच्छा आचरण दिखायें” या “प्रकट करें”

अपने कामों को अच्छे चाल-चलन से उस नम्रता सहित प्रगट करें जो ज्ञान से उत्पन्न होती है।

“सच्चे ज्ञान से उत्पन्न अच्छे काम एवं दीनता”

तुम अपने मन में कड़वी डाह और विरोध रखते हो।

“मन” अर्थात भावनायें एवं विचार “तुम मनुष्यों के साथ आपसी योगदान नहीं करते अपितु स्वार्थ को प्रथम स्थान देते हो।”

सत्य के विरोध में घमंड न करना और न तो झूठ बोलना।

“सत्य को झूठा सिद्ध करके बुद्धिमानी का स्वांग मत रचो।”