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घोड़ों के मुँह में लगाम लगाते हैं।

याकूब मनुष्य की जीभ की तुलना घोड़े की लगाम से करता है। लगाम एक लोहे का टुकड़ा होता है जो घोड़े के मुंह में डालकर उसका चलना-फिरना निर्देशित करने के लिए काम में लिया जाता है। याकूब का कहना है कि मनुष्य के मुंह की बातें उसके और उसके परिचित मनुष्यों के जीवनों को प्रभावित करती हैं।

जब हम

“यदि” या “जब”

घोड़े के मुँह में लगाम लगाते हैं।

घोड़ा बोझ खींचने के लिए एक बड़ा पशु है। इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है, “यदि हम घोड़े के मुँह में लगाम लगाते हैं।”

देखो जहाज भी....एक छोटी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार चलाये जाते हैं।

देखो जहाज भी....एक छोटी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार चलाये जाते हैं। याकूब मनुष्य की जीभ की भी जहाज की पतवार से तुलना करता है। जहाज पानी पर चलने वाला बड़ा यान है। पतवार जहाज के अन्त में एक लोहे की पट्टी होती है जिसके द्वारा जहाज को दिशा दी जाती है। यहाँ याकूब का मुख्य विषय घोड़े की लगाम कसना ही है। कहने का अर्थ है कि एक छोटी वस्तु किसी विशाल वस्तु को वश में कर सकती है।

यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं।

अर्थात जहाज

प्रचण्ड वायु से चलाये जाते हैं।

इसका अनुवाद कतृवाच्य वाक्य में किया जा सकता है, “प्रचण्ड वायु उसे चलाती है।”

एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार चलाये जाते हैं।

इसका अनुवाद कतृवाच्य क्रिया में किया जा सकता है, “एक छोटे से उपकरण द्वारा जहाज की दिशा बदल सकते हैं।”