hi_tn-temp/heb/07/18.md

396 B

व्यवस्था ने किसी बात को सिद्ध नहीं किया

इससे स्पष्ट होता है कि “विधान अशक्त एवं व्यर्थ है” अतः उसका निराकरण किया जाए।

पास आनेवाला

“निकट आ सकते हैं”।