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जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते है, वे सब श्राप के अधीन हैं।

विधान पर आधारित जीवन जीने वालों को सबको परमेश्वर सदाकालीन का दण्ड देगा।

यह बात प्रगट है कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के यहां कोई धर्मी नहीं ठहरता।

“परमेश्वर ने स्पष्ट कह दिया है कि वह दण्ड देगा”।

वे

“मनुष्य”

व्यवस्था के कामों को

परमेश्वर के विधान

का पालन करेगा

“के अनुसार जीवन जीएगा” या “उसके अधीन रहेगा” “निष्ठावान रहेगा” या “पालन करेगा” या “अनिवार्यता पूरी करेगा”

यह सब करने के लिए

“संपूर्ण विधान की प्रत्येक आज्ञा मान लेगा”

धर्मी

“मनुष्य जिन्हें परमेश्वर धर्मी मानता है” या “धर्मी मनुष्य”

विधान की बातें

“विधान में लिखी हुई बातें”

उनके कारण जीवित रहेगा

अर्थात 1) प्रत्येक बात का पालन करना था (यू.डी.बी.) 2) वह जीवित रहेगा क्योंकि वह विधान की अनिवार्यताओं का पालन करता है।