hi_tn-temp/gal/01/08.md

2.4 KiB

सुसमाचार तुम्हें सुनाए

“सुनाए” या “सुनाता हो” अर्थात यह कि ऐसा नहीं हुआ है और होना भी नहीं चाहिए।

कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए

“शुभ सन्देश के अतिरिक्त” या “हमारे सन्देश के अतिरिक्त”

उसे शापित होना चाहिए

“परमेश्वर झूठा सन्देश सुनाने वाले को सदा का दण्ड दे” (यू.डी.बी.) यदि आपकी भाषा में किसी को श्राप देने की विधि है तो उसका यहां उपयोग करें।

मैं क्या मनुष्यों को मनाता हूं या परमेश्वर को? या मैं मनुष्य को प्रसन्न करना चाहता हूँ?

इन प्रभावोत्पादक प्रश्नों से अपेक्षा की गई है कि उत्तर नकारात्मक हो। इसका अनुवाद हो सकता है, “मैं मनुष्यों का नहीं” परमेश्वर का अनुमोदन खोजता हूं। मैं मनुष्यों को प्रसन्न करने की खोज में नहीं हूं”।

यदि मैं अब तक मनुष्यों को ही प्रसन्न करता रहता तो मसीह का दास न होता।

“यदि” और “तो” दोनों ही तथ्यों के विपरीत है। इसका अनुवाद हो सकता है, “मैं अब तक मनुष्यों को प्रसन्न करने का प्रयास नहीं कर रहा हूं, मैं मसीह का सेवक हूं” या “यदि मैं मनुष्यों को प्रसन्न कर रहा हूं तो निश्चय ही मसीह का सेवक नहीं हूं”।