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व्यभिचार और किसी प्रकार के अशुद्ध काम या लोभ की चर्चा तक न हो... क्योंकि ये बातें शोभा नहीं देती।
“परमेश्वर के लोगों में यौन संबन्धित अनाचार या कैसी भी अशुद्धता या लालच का नाम भी नहीं होना है क्योंकि उनमें यह अशोभनीय है”
व्यभिचार
“यौन संबन्धित पाप” या “अनुचित यौन संबन्ध”
किसी प्रकार के अशुद्ध काम
“कैसी भी अनैतिक बात”
लोभ
“पराई वस्तु का लालच”
चर्चा तक न हो
“तुममें इसका नाम भी न लिया जाए” या “तुम में दिखाई भी न दे”
शोभा नहीं देती
“तुम्हारा आचरण परमेश्वर के पवित्र जनों का सा हो”
न निर्लज्जता न मूढ़ता, न ठट्ठे की... धन्यवाद ही सुना जाए
“तुम्हारी बातों में धन्यवाद छलकता हो न कि चरित्रहीन मूर्खता की बातें या अभद्र चुटकुले हों”