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तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे, परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए हो

यह अन्यजातियों के मसीही विश्वास में आने से पूर्व की और बाद की आत्मिक अवस्था का वर्णन है, जैसे एक विदेशी किसी देश का नागरिक बनता है।

अब विदेशी... नहीं रहे

“बाहरी लोग नहीं रहे”

मुसाफिर

“जो नागरिक नहीं हैं”

नींव पर ... बनाए गए हो

पौलुस परमेश्वर के परिवार की तुलना एक भवन से करता है जिसके कोने का पत्थर मसीह यीशु है और प्रेरित उसकी नींव है और विश्वासी उसकी निर्माण सामग्री है।

जिसमें सारी रचनाएं साथ मिलकर प्रभु में एक पवित्र मन्दिर बनती जाती है।

पौलुस मसीह के परिवार की तुलना भवन निर्माण से करता है जिसमें राज मिस्त्री पत्थरों को संयोजित करता है उसी प्रकार मसीह भी हमें संयोजित कर रहा है।

जिसमें तुम भी आत्मा के द्वारा परमेश्वर का निवास स्थान होने के लिए एक साथ बनाए जाते हो।

वह वर्णन करता है कि विश्वासी किस प्रकार एक साथ संयोजित किए जाकर एक स्थान बनते हैं जिनमें परमेश्वर स्थाई रूप से निवास करता है जैसे पृथ्वी पर मनुष्यों के निवास हेतु एक घर बनाया जाता है।