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पौलुस और तीमुथियुस कुरिन्थ की कलीसिया को प्रोत्साहित करते हैं।

जैसे मसीह के दुःख हमारे निमित अधिक है

"ठीक वैसे ही जैसे मसीह ने हमारे लिए बहुत कष्ट उठाया है

यदि हम क्लेश पाते है

कुरिन्थ की कलीसिया तो कष्ट उठा रही थी परन्तु पौलुस अपने और अपने साथियों के सन्दर्भ में भी कह रहा है।

जिसके कार्य से

"जिसका तुम अनुभव करके"