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679 B

यदि सब एक ही अंग होते

यदि हर एक अंग-पांव होता तो भुजा, हाथ, छाती या सिर जो सब मिलकर देह की रचना करते है, नहीं होते और हम एक पांव ही होते, देह नहीं।

देह कहां होती

वैकल्पिक अनुवाद: “देह तो होती ही नहीं”

अब अंग तो बहुत हैं

वैकल्पिक अनुवाद: “अतः अंग तो बहुत हैं परन्तु”